इंडसइंड बैंक एक नई नियामक जांच के घेरे में आ गया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने बैंक में कथित लेखांकन अनियमितताओं की जांच शुरू की है। सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में कॉरपोरेट गवर्नेंस के उल्लंघन के संकेत मिले हैं।
क्या है मामला?
MCA अब इस मामले को अपने महानिदेशालय जांच (Directorate General of Investigations) को सौंपने या गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) को सौंपने पर विचार कर रहा है। यदि ऐसा होता है, तो बैंक के लिए कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
हालांकि, बैंक ने अभी तक MCA से कोई औपचारिक सूचना प्राप्त नहीं की है।
पहले भी हुई हैं गलतियां
इस साल की शुरुआत में, इंडसइंड बैंक ने डेरिवेटिव और माइक्रोफाइनेंस खातों में करोड़ों रुपये की विसंगतियों का खुलासा किया था। मार्च में, बैंक ने स्वीकार किया कि उसके आंतरिक विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव अनुबंधों में लेखांकन में चूक हुई थी, जिसके कारण उसकी शुद्ध संपत्ति में लगभग ₹1,979 करोड़ की कमी आई थी।
मई में, एक और ₹674 करोड़ की विसंगति सामने आई, इस बार माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो से जुड़ी हुई। बैंक ने ₹595 करोड़ से अधिक को "अन्य संपत्तियों" के तहत और ₹79 करोड़ को ब्याज आय के रूप में गलत तरीके से बुक करने की बात स्वीकार की।
शेयरों पर असर
इन खुलासों के बाद, इंडसइंड बैंक के शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
आगे क्या होगा?
यह देखना बाकी है कि MCA की जांच में क्या निकलता है। यदि SFIO को मामला सौंपा जाता है, तो बैंक के लिए स्थिति और गंभीर हो सकती है। निवेशकों को इस मामले पर नजर रखने की सलाह दी जाती है।
मुख्य बातें:
- MCA इंडसइंड बैंक में लेखांकन अनियमितताओं की जांच कर रहा है।
- प्रारंभिक जांच में कॉरपोरेट गवर्नेंस के उल्लंघन के संकेत मिले हैं।
- MCA मामले को SFIO को सौंपने पर विचार कर रहा है।
- बैंक ने पहले भी वित्तीय विसंगतियों का खुलासा किया है।