अमेरिकी कांग्रेस में पेश किए गए HIRE Act (Halting International Relocation of Employment Act) ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) उद्योग में खलबली मचा दी है। यह विधेयक, जिसका उद्देश्य अमेरिकी नौकरियों को विदेशी कंपनियों को आउटसोर्सिंग से रोकना है, भारत के 250 बिलियन डॉलर के IT क्षेत्र के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करता है।
प्रस्तावित कानून विदेशी फर्मों को किए गए भुगतान पर 25% कर लगाने का प्रावधान करता है, जिससे भारतीय IT कंपनियों की लाभप्रदता प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि अभी इस विधेयक का कानून बनना बाकी है, लेकिन यह स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका में संरक्षणवाद और लोकलुभावन बयानबाजी बढ़ रही है।
भारतीय IT क्षेत्र पर प्रभाव
भारतीय IT सेवा प्रदाता और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC), जो अमेरिकी ग्राहकों पर अत्यधिक निर्भर हैं, इस विधेयक से वास्तविक जोखिम का सामना कर रहे हैं। TIL CreativesIndia के अनुसार, प्रमुख भारतीय IT सेवा कंपनियों की आधे से अधिक आय अमेरिकी ग्राहकों से प्राप्त होती है। ऐसे में, इस विधेयक के पारित होने से इन कंपनियों के राजस्व पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
आगे की राह
इस चुनौती का सामना करने के लिए, भारतीय IT कंपनियों को बाजार विविधीकरण और घरेलू विकास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्हें अन्य देशों में अपने ग्राहक आधार का विस्तार करने और भारत में ही IT सेवाओं की मांग को बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे।
- नए बाजारों में प्रवेश करना
- घरेलू मांग को बढ़ावा देना
- प्रौद्योगिकी में नवाचार करना
अमेरिका-भारत प्रौद्योगिकी गलियारा, जिसे लंबे समय से एक पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी के रूप में देखा जाता रहा है, अब एक नए दौर से गुजर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय IT उद्योग इस चुनौती का कैसे सामना करता है और भविष्य में अपनी वृद्धि को कैसे बनाए रखता है।
डोनाल्ड ट्रम्प के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने हाल ही में एक दक्षिणपंथी टिप्पणीकार जैक पोसोबीक को रीट्वीट किया, जिन्होंने दूरस्थ विदेशी श्रमिकों पर शुल्क लगाने का आह्वान किया। इससे संकेत मिलता है कि ऑफशोरिंग पर कार्रवाई करने वाली आवाजों को ट्रम्प-संरेखित रिपब्लिकन पारिस्थितिकी तंत्र में गंभीरता से लिया जा रहा है।