जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार को बादल फटने से भारी तबाही हुई है। मचैल माता मंदिर के पास चिशोती इलाके में बादल फटने से कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 50 से ज्यादा श्रद्धालुओं को रेस्क्यू किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि कई लोग अभी भी लापता हैं।
यह हादसा उस वक्त हुआ जब श्रद्धालु हिमालय स्थित माता चंडी के मंदिर की यात्रा पर जा रहे थे। अचानक आई बाढ़ ने घरों, वाहनों और लंगर को बहा दिया, जिससे चारों ओर चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों और सेना ने बचाव कार्य में मदद की, लेकिन भारी बारिश और मलबे के कारण बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं।
किश्तवाड़ के चशोती गांव में बादल फटने से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। चंडी माता मंदिर के रास्ते में अचानक आई बाढ़ ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कैसे सड़कें और इमारतें मलबे में तब्दील हो गई हैं।
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं। सरकार ने प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
राहत और बचाव कार्य जारी
सेना और एनडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं। प्रशासन ने प्रभावित लोगों को भोजन, पानी और आश्रय उपलब्ध कराया है। राज्यपाल ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है।
पहाड़ों पर कुदरत का कहर
किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना ने एक बार फिर पहाड़ों पर कुदरत के कहर की याद दिला दी है। धराली, कुल्लू-शिमला में भी हाल ही में बादल फटने की घटनाएं हुई थीं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई थी।
क्या बादल फटने जैसी तबाही मिसाइल से हो सकती है?
यह सवाल अजीब है, मगर पूछा जा रहा है कि क्या कोई ऐसी मिसाइल है जिसके हमले से ऐसी तबाही आ सकती है? हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बादल फटने की घटनाएं प्राकृतिक आपदाएं हैं और इनका मिसाइलों से कोई लेना-देना नहीं है।