लोकसभा द्वारा अनुमोदित संशोधित आयकर विधेयक 2025 में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं जो करदाताओं को प्रभावित करेंगे। यह विधेयक 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होगा और वित्तीय वर्ष 2026-27 पर लागू होगा। इन संशोधनों का उद्देश्य पिछली मसौदा त्रुटियों को ठीक करना है जो भ्रम पैदा कर सकती थीं।
प्रमुख संशोधन:
- शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र: विधेयक में शून्य टीडीएस प्रमाणपत्रों से संबंधित मुद्दों को संबोधित किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि करदाताओं को अनावश्यक कर कटौती का सामना न करना पड़े।
- गृह संपत्ति आय पर मानक कटौती: गृह संपत्ति आय पर मानक कटौती के संबंध में स्पष्टता प्रदान की गई है, जिससे करदाताओं को अपनी कर देनदारी की गणना करने में आसानी होगी।
- गैर-कर्मचारियों के लिए कम्यूटेड पेंशन पर कर कटौती: गैर-कर्मचारी श्रेणी के लिए कम्यूटेड पेंशन पर कर कटौती के संबंध में भी संशोधन किए गए हैं।
इन संशोधनों का उद्देश्य कानून को मौजूदा प्रावधानों के साथ संरेखित करना और अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचना है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव स्पष्टता बहाल करेंगे और करदाताओं के लिए कर प्रणाली को आसान बनाएंगे।
व्यक्तिगत करदाताओं के लिए मुख्य अपडेट:
- देर से या संशोधित आईटीआर के लिए रिफंड।
- शून्य टीडीएस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया में स्पष्टता।
- संपत्ति आय पर मानक कटौती का लाभ।
- निर्माण से पहले के होम लोन पर ब्याज पर कटौती।
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर सचिन गर्ग के अनुसार, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 197 में "शून्य" के साथ-साथ "कम" कटौती कर प्रमाणपत्र का प्रावधान है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये परिवर्तन कर कानूनों के जटिल पहलुओं को सरल बनाने और करदाताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के लिए किए गए हैं। करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे इन परिवर्तनों से अवगत रहें और अपनी कर योजना के अनुसार आवश्यक समायोजन करें।
अधिक जानकारी के लिए, कृपया आधिकारिक आयकर विभाग की वेबसाइट देखें या किसी कर विशेषज्ञ से परामर्श करें।