चेन्नई में शहरी खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है, जहां निवासी छतों, बालकनियों और खाली प्लॉटों को सब्जी के बगीचों में बदल रहे हैं। यह ताजा उपज, कम कार्बन पदचिह्न और यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य लाभ का वादा करता है। लेकिन शहर के भीषण गर्मी से लेकर तीव्र मानसून की बारिश तक के चरम मौसम का सामना करने के साथ, बड़ा सवाल यह है: क्या यह टिक पाएगा?
चेन्नई के मौसम की चुनौतियां
चेन्नई का मौसम किसी भी प्रकार की खेती के लिए चुनौतीपूर्ण है। गर्मी का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा सकता है, जिससे मिट्टी सूख जाती है, पौधे मुरझा जाते हैं और सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है। दूसरी ओर, मानसून की बारिश कंटेनरों को बाढ़ कर सकती है, पोषक तत्वों को बहा सकती है और यहां तक कि नाजुक पौधों को भी मार सकती है।
शहरी किसान कैसे अनुकूलन कर रहे हैं?
शहरी किसान अनुकूलन के रचनात्मक तरीके खोज रहे हैं। छाया जाल पौधों को कठोर धूप से बचाते हैं, जबकि बारिश आश्रय मानसून के दौरान अधिक पानी से बचाते हैं। कई लोग पानी बचाने और मिट्टी की नमी को संतुलित रखने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का भी उपयोग करते हैं।
- छाया जाल: तेज धूप से बचाव।
- बारिश आश्रय: अत्यधिक बारिश से बचाव।
- ड्रिप सिंचाई: पानी की बचत और मिट्टी की नमी बनाए रखना।
तमिलनाडु में सप्ताहांत का मौसम क्षेत्रवार पूर्वानुमान भी महत्वपूर्ण है, जिससे किसान अपनी योजनाओं को समायोजित कर सकते हैं। शहरी खेती चेन्नई में एक आशाजनक प्रवृत्ति है, लेकिन इसे चरम मौसम की चुनौतियों से पार पाना होगा। अनुकूलन और नवाचार के साथ, यह शहर के लिए एक स्थायी खाद्य स्रोत बन सकता है।