कर्नाटक उच्च न्यायालय, भारत की सबसे प्रतिष्ठित अदालतों में से एक है। यह अपने महत्वपूर्ण फैसलों और कानूनी कार्यवाही के लिए जाना जाता है। हाल के हफ्तों में, अदालत ने कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई की है, जिनमें श्रम न्यायालयों द्वारा श्रमिकों के धन वसूली आवेदनों पर निर्णय लेने में लगने वाला समय और परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत मामलों में भविष्य के ब्याज का भुगतान शामिल है।
श्रम न्यायालयों में देरी
उच्च न्यायालय ने श्रम न्यायालयों द्वारा श्रमिकों के धन वसूली आवेदनों पर निर्णय लेने में लगने वाले 'काफी समय' पर चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति अनंत रामनाथ हेगड़े ने औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 33-सी(2) के तहत श्रमिकों द्वारा किए गए आवेदनों के शीघ्र निपटान के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। अदालत ने जोर दिया कि वास्तविक विवादित दावे का पता लगाए बिना जांच नहीं की जानी चाहिए।
परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत भविष्य का ब्याज
एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत मामलों में सजा के आदेश पारित करते समय, ट्रायल कोर्ट को शिकायतकर्ता को देय मुआवजे की राशि पर भविष्य के ब्याज का भुगतान करने का भी आदेश देना चाहिए। इससे शिकायतकर्ता को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि चुनौती दिए जाने पर भी उन्हें उचित मुआवजा मिले।
अन्य महत्वपूर्ण मामले
जुलाई 2025 के अंतिम दो हफ्तों में, अदालत ने कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर भी सुनवाई की, जिनमें शामिल हैं:
- एम/एस बनावथी एंड कंपनी बनाम महावीर इलेक्ट्रो मेच (पी) लिमिटेड और अन्य
- विश्वास के एस बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य
- जगदीश देवदास अंचन बनाम कर्नाटक राज्य और एएनआर
- सेंचुरी क्लब बनाम एस उमापति और एएनआर
कर्नाटक उच्च न्यायालय के ये फैसले और कार्यवाही राज्य और पूरे देश के कानूनी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अदालत न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।