उत्तराखंड के हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर क्षेत्र में रविवार को दुखद घटना घटी। भगदड़ मचने से 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसने एक बार फिर भारत में धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन के मुद्दे को उजागर कर दिया है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत में मंदिरों और अन्य धार्मिक समारोहों में भगदड़ में लोगों की जान गई है। अतीत में भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है।
भारत में पहले भी हुई भगदड़ की घटनाएं:
- 4 जून, 2025: आईपीएल में आरसीबी की जीत का जश्न मनाने के लिए बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भगदड़ मचने से कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
- 3 मई, 2025: गोवा के शिरगाओ गांव में श्री लैराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव के दौरान तड़के मची भगदड़ में छह लोगों की मौत हो गई और लगभग 100 लोग घायल हो गए।
- 15 फरवरी, 2025: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने वाली ट्रेन का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ में महिलाओं और बच्चों समेत 18 लोगों की मौत हो गई।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि भारत में धार्मिक स्थलों और बड़े समारोहों में भीड़ प्रबंधन एक गंभीर चुनौती है। सरकार और मंदिर प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। इसमें बेहतर योजना, भीड़ नियंत्रण उपाय और आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणालियों को मजबूत करना शामिल है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।
मनसा देवी मंदिर में हुई इस दुखद घटना के पीड़ितों के परिवारों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं।