भारत का अमेरिका से तेल आयात: क्या यह सिर्फ व्यापार है?
भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। हाल के वर्षों में, भारत के तेल आयात में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, जिसमें पश्चिम एशिया के पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं से रूस और अमेरिका जैसे नए स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह बदलाव मूल्य निर्धारण और राजनयिक कारणों से प्रेरित है।
विशेष रूप से, अमेरिका से भारत के कच्चे तेल के आयात में इस वर्ष की पहली छमाही में 51% की वृद्धि हुई है, भले ही आयात की उच्च लागत, शिपिंग और अमेरिकी बंदरगाहों से यात्रा का समय अधिक हो। माना जाता है कि भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता में राजनीतिक पहलू इस रणनीतिक बदलाव के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
रूस का उदय
पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित रूस से सस्ते कच्चे तेल के कारण, रूस पिछले वर्ष के मध्य से भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। चीन भी रूसी तेल का एक प्रमुख आयातक है। भारत और चीन रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार बनने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
नया समुद्री मार्ग
वर्तमान में, भारत रूस और भारत के बीच कमोडिटी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक नए समुद्री मार्ग - पूर्वी समुद्री गलियारे का उपयोग कर रहा है, खासकर कच्चे तेल के शिपमेंट के लिए। व्लादिवोस्तोक से चेन्नई तक का यह नया पूर्वी मार्ग दो तरह से बचत कर रहा है: दोनों देशों के बीच शिपमेंट समय और परिवहन लागत।
अमेरिकी दबाव
इस साल की शुरुआत में, भारत पर अमेरिका से भारी व्यापारिक दबाव था कि वह वाशिंगटन को "भारत के लिए तेल और गैस का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता" बनाने की दिशा में कदम उठाए, जिससे अमेरिका को व्यापार घाटे को पाटने में मदद मिल सके।
निष्कर्ष में, भारत का अमेरिका से तेल आयात एक जटिल मुद्दा है जिसमें राजनीतिक और वाणिज्यिक दोनों कारक शामिल हैं। यह देखना बाकी है कि आने वाले वर्षों में यह प्रवृत्ति कैसे विकसित होती है।
- अमेरिका से भारत का तेल आयात 51% बढ़ा।
- रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है।
- भारत पूर्वी समुद्री गलियारे का उपयोग कर रहा है।