विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दिल्ली में नए सिविल सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि 21 मार्च 1977, जिस दिन देश में इमरजेंसी समाप्त हुई, उसी दिन उन्होंने प्रतिष्ठित UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा के लिए इंटरव्यू दिया था।
जयशंकर ने बताया कि उस समय उनकी उम्र 22 साल थी और वे दिल्ली के शाहजहां रोड स्थित UPSC कार्यालय में इंटरव्यू देने वाले पहले उम्मीदवार थे। यह एक ऐसा दिन था जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और उसी दिन एक युवा जयशंकर अपने भविष्य को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि इस इंटरव्यू ने उन्हें दो महत्वपूर्ण सबक सिखाए। पहला, दबाव में प्रभावी ढंग से कैसे बात की जाए। दूसरा, उन्होंने उन विशिष्ट अधिकारियों से मुलाकात की जो अपनी ही दुनिया में जी रहे थे और देश की जमीनी हकीकत से अनजान थे। यह अनुभव उनके लिए आंखें खोलने वाला था और इसने उन्हें भविष्य में एक राजनयिक और प्रशासक के रूप में बेहतर ढंग से काम करने के लिए तैयार किया।
जयशंकर का यह किस्सा नए सिविल सेवा अधिकारियों के लिए प्रेरणादायक है। यह उन्हें याद दिलाता है कि दबाव में शांत रहना और जमीनी हकीकत से जुड़े रहना कितना महत्वपूर्ण है। एक सिविल सेवक के रूप में, उन्हें देश के लोगों की सेवा करनी है, और इसके लिए उन्हें उनकी समस्याओं और आकांक्षाओं को समझना होगा।
जयशंकर का अनुभव: युवाओं के लिए सीख
जयशंकर का यह अनुभव युवाओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण सीख है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में चुनौतियों का सामना करना अपरिहार्य है, लेकिन हमें उनसे डरना नहीं चाहिए। हमें उनसे सीखना चाहिए और उन्हें अपने विकास के अवसर के रूप में उपयोग करना चाहिए। दबाव में शांत रहना और अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना सफलता की कुंजी है।
UPSC: एक प्रतिष्ठित परीक्षा
UPSC भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। यह परीक्षा देश के सबसे प्रतिभाशाली युवाओं को सिविल सेवा में शामिल होने का अवसर प्रदान करती है। सिविल सेवा भारत के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और सिविल सेवक देश के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं।