सीसीएसयू: एआई से पकड़ेगा छात्रों की नकल, 76 बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू), मेरठ, शिक्षा में नवाचार और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत है। विश्वविद्यालय ने हाल ही में दो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं: पहला, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करके छात्रों द्वारा की जाने वाली साहित्यिक चोरी और एआई-जनित सामग्री की पहचान करना, और दूसरा, मानकों का पालन न करने वाले 76 बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द करना।

एआई से साहित्यिक चोरी पर लगाम

सीसीएसयू ने टर्नेटिन सॉफ्टवेयर को अपग्रेड किया है, जो अब चैटजीपीटी और क्विल बॉट जैसे एआई टूल का उपयोग करके लिखे गए रिसर्च पेपर, प्रोजेक्ट और थीसिस की पहचान करने में सक्षम है। पहले, यह सॉफ्टवेयर केवल साहित्यिक चोरी (प्लेगेरिज्म) का पता लगाता था, लेकिन अब इसमें एआई-आधारित सामग्री का पता लगाने की क्षमता भी शामिल हो गई है। विश्वविद्यालय का मानना है कि यह कदम छात्रों को मौलिक और रचनात्मक कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि एआई-केंद्रित टर्नेटिन सॉफ्टवेयर यह पहचानने में सक्षम होगा कि रिसर्च पेपर, प्रोजेक्ट या थीसिस में एआई टूल का उपयोग किया गया है या नहीं। यह उन छात्रों के लिए एक निवारक के रूप में काम करेगा जो अपने शैक्षणिक कार्यों में शॉर्टकट लेने की कोशिश करते हैं।

76 बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द

नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध 76 बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। यह कार्रवाई मानकों की अनदेखी के कारण की गई है। एनसीटीई ने इन कॉलेजों को सत्र 2025-26 में बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसलिंग की सूची में शामिल नहीं किया है।

एनसीटीई ने बार-बार आगाह करने के बावजूद मानकों को पूरा न करने वाले संस्थानों की मान्यता समाप्त कर दी है। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि केवल योग्य संस्थान ही बीएड पाठ्यक्रम संचालित करें।

आगे की राह

सीसीएसयू शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। एआई का उपयोग करके साहित्यिक चोरी का पता लगाने और मानकों का पालन न करने वाले कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई करके, विश्वविद्यालय छात्रों और शिक्षा प्रणाली के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने की दिशा में काम कर रहा है। विश्वविद्यालय भविष्य में भी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए नए उपाय करता रहेगा।

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