हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में कांवड़ यात्रा पूरे ज़ोरों पर है। पंचक समाप्त होने के बाद, शिवभक्तों की संख्या में भारी वृद्धि देखी जा रही है। दूर-दूर से श्रद्धालु गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार पहुँच रहे हैं और फिर उसे अपने स्थानीय शिवालयों में अर्पित कर रहे हैं।
कांवड़ यात्रा में आस्था के रंग
इस यात्रा में आस्था के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। करनाल के बलवान अपनी पत्नी अंजली के साथ अपनी 70 वर्षीय माता को पालकी में बैठाकर कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। उनका कहना है कि माताजी की इच्छा थी कि वे गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करें, इसलिए वे उन्हें पालकी में लेकर आए हैं।
पलवल से भी लगभग पांच हजार से अधिक कांवड़िए डाक कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार रवाना हो रहे हैं। ये भक्त 23 जुलाई को शिवरात्रि के अवसर पर जलाभिषेक करेंगे। जिला प्रशासन ने भी कांवड़ियों की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्था की है।
शिविरों का आयोजन
कांवड़ यात्रा के मार्ग पर जगह-जगह शिविर लगाए गए हैं, जहाँ भक्तों के लिए भोजन, पानी और विश्राम की व्यवस्था की गई है। स्वयंसेवकों ने भक्तों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
- भक्तों के लिए नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था
- चिकित्सा शिविरों का आयोजन
- सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल तैनात
कांवड़ यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं। यह आयोजन भगवान शिव के प्रति भक्तों की गहरी आस्था का प्रतीक है।
हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस और प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।