पश्चिम बंगाल बीजेपी में क्या दिलीप घोष की वापसी हो रही है? अटकलें तेज हैं क्योंकि उन्हें 18 जुलाई को दुर्गापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया गया है।
कभी राज्य बीजेपी के 'डाकाबुको' (साहसी) नेता माने जाने वाले दिलीप घोष को पिछले कुछ समय से पार्टी की गतिविधियों से दूर रखा गया था। उनके समर्थकों का मानना है कि यह शमिक भट्टाचार्य के नेतृत्व में पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा था, जिसके तहत शुभेंदु अधिकारी जैसे नेताओं को प्राथमिकता दी जा रही थी।
हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा व्यक्तिगत रूप से उन्हें रैली में आमंत्रित किए जाने के बाद, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या यह दिलीप घोष के लिए 'ग्रेट कमबैक' का संकेत है। क्या बीजेपी आलाकमान राज्य इकाई में शक्ति संतुलन को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है?
रैली में दिलीप घोष की उपस्थिति निश्चित रूप से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाएगी और पार्टी को एकजुट करने में मदद करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में राज्य बीजेपी में उनकी भूमिका क्या रहती है।
इस घटनाक्रम पर राजनीतिक विश्लेषकों की भी नजर है। कुछ का मानना है कि यह बीजेपी की अंदरूनी कलह को शांत करने का एक प्रयास है, जबकि अन्य इसे 2026 के विधानसभा चुनावों की तैयारी के रूप में देख रहे हैं।
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मुख्य बातें:
- दिलीप घोष को पीएम मोदी की रैली में निमंत्रण।
- राज्य बीजेपी में उनकी भूमिका पर अटकलें।
- राजनीतिक विश्लेषकों की प्रतिक्रियाएं।