अमेरिकी क्वांट ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के आदेश के अनुसार 4,843.50 करोड़ रुपये एस्क्रो खाते में जमा कर दिए हैं। SEBI ने जेन स्ट्रीट पर निफ्टी बैंक में हेरफेर करने का आरोप लगाते हुए यह आदेश दिया था।
जेन स्ट्रीट विवाद: क्या है पूरा मामला?
SEBI ने 3 जुलाई, 2025 को एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसमें जेन स्ट्रीट को भारतीय बाजारों में ट्रेडिंग करने से रोक दिया गया था जब तक कि वह 4,843.5 करोड़ रुपये एस्क्रो खाते में जमा नहीं कर देती। SEBI का आरोप है कि जेन स्ट्रीट ने जानबूझकर निफ्टी बैंक में हेरफेर करने के लिए एक "सुनियोजित और दुर्भावनापूर्ण योजना" चलाई।
SEBI का कहना है कि जेन स्ट्रीट ने बिना हेजिंग के निफ्टी बैंक विकल्पों में आक्रामक पोजीशन लीं, जिससे बाजार में अस्थिरता आई। नियामक ने इसे "इंट्रा-डे इंडेक्स हेरफेर" का मामला बताया है।
जेन स्ट्रीट की प्रतिक्रिया
जेन स्ट्रीट ने SEBI के आदेश का पालन करते हुए एस्क्रो खाते में पैसे जमा कर दिए हैं। इसके साथ ही, कंपनी ने SEBI से अंतरिम आदेश में लगाए गए कुछ प्रतिबंधों को हटाने का अनुरोध किया है। हालांकि, एक सूत्र ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि जेन स्ट्रीट का अभी भारत में ट्रेडिंग फिर से शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। कंपनी SEBI के आदेश को चुनौती देना जारी रखेगी।
बाजार पर प्रभाव
जेन स्ट्रीट विवाद के कारण भारतीय शेयर बाजारों में काफी उथल-पुथल मची हुई है। BSE और NSE के शेयरधारकों को पिछले महीने से 1.4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कई ब्रोकरेज फर्मों ने एक्सचेंज शेयरों को डाउनग्रेड कर दिया है, जिससे बाजार में और गिरावट आई है।
- BSE के शेयरों में 22% की गिरावट आई है, जिससे 26,600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
- NSE को 1.15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, और शेयरों में 18% की गिरावट आई है।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि जेन स्ट्रीट विवाद और संभावित नियामक सख्ती के कारण निकट भविष्य में एक्सचेंज की मात्रा पर दबाव बना रहेगा।