शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत गरीब और वंचित छात्रों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा पाने का अधिकार है। हालांकि, कई स्कूलों द्वारा इस नियम का उल्लंघन करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे छात्रों और अभिभावकों को परेशानी हो रही है। नवीनतम घटनाओं में, गोरखपुर और नोएडा में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां निजी स्कूल RTE के तहत पात्र छात्रों को प्रवेश देने में आनाकानी कर रहे हैं।
गोरखपुर में डीएम की सुनवाई
गोरखपुर में, जिलाधिकारी (डीएम) ने RTE के तहत प्रवेश न देने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। शिकायतें मिलने के बाद, डीएम स्वयं सुनवाई करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि पात्र छात्रों को स्कूलों में प्रवेश मिले। टालमटोल करने वाले स्कूलों के खिलाफ मान्यता रद्द करने जैसी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। वर्तमान में, गोरखपुर में RTE के तहत 1450 सीटें खाली हैं, और विभाग इन सीटों को भरने के लिए प्रतिबद्ध है।
नोएडा में स्कूलों को नोटिस
इसी तरह, नोएडा में भी शिक्षा विभाग ने RTE के तहत प्रवेश न देने वाले तीन स्कूलों को नोटिस जारी किया है। इन स्कूलों में डीपीएस केपी-5, राघव ग्लोबल स्कूल और ग्लोबल इंडियन स्कूल शामिल हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पंवार ने बताया कि इन स्कूलों को प्रवेश न देने का कारण बताना होगा। सोमवार को एडीएम की मौजूदगी में स्कूलों के प्रतिनिधि और अभिभावकों के बीच बैठक होगी, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी और समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। नोएडा में अभी भी 1400 छात्रों को निजी स्कूलों में RTE के तहत दाखिला मिलना बाकी है।
आगे की राह
शिक्षा विभाग RTE के नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिए प्रतिबद्ध है। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी स्कूल को गरीब और वंचित छात्रों को शिक्षा से वंचित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अभिभावकों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे प्रवेश संबंधी किसी भी समस्या की शिकायत विभाग से करें। इन कदमों से उम्मीद है कि RTE के तहत पात्र छात्रों को निजी स्कूलों में प्रवेश मिल सकेगा और वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। सरकार का लक्ष्य है कि हर बच्चे को शिक्षा मिले, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।