आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत 8 जुलाई 2025 को मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। सावन मास की शुरुआत से पहले, शिव भक्तों के पास भगवान महादेव को प्रसन्न करने का यह एक और सुनहरा अवसर है। सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं। प्रदोष काल, अर्थात सूर्यास्त के बाद का समय, भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से भगवान शिव का अभिषेक करें।
- बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल और मिठाई अर्पित करें।
- 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
- प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
- आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
प्रदोष व्रत के लाभ
मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाने, सुख-समृद्धि प्रदान करने और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत करने में सहायक होता है। यदि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाया जाए, तो कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। यह व्रत वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाता है और संतान प्राप्ति में भी मदद करता है।
क्या न करें इस दिन
प्रदोष व्रत के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, आदि) से दूर रहना चाहिए। किसी को भी अपशब्द नहीं कहने चाहिए और क्रोध नहीं करना चाहिए। शांत मन से भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
इस प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।