दलाई लामा को मोदी की बधाई पर चीन का गुस्सा, तिब्बत पर भारत को चेतावनी

चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर बधाई देने और भारतीय मंत्रियों द्वारा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में उनके निवास पर उत्सवों के लिए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। बीजिंग ने तिब्बत से संबंधित मामलों पर अपनी स्थिति दोहराई है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने संवाददाताओं से कहा कि तिब्बत पर देश की स्थिति सुसंगत और सर्वविदित है। माओ ने आगे कहा कि दलाई लामा एक राजनीतिक निर्वासन हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि वे धर्म के बहाने ज़िज़ांग (जिसे चीन के बाहर तिब्बत के रूप में भी जाना जाता है) को अलग करने के प्रयासों में शामिल रहे हैं।

माओ निंग ने कहा, "भारत को ज़िज़ांग से संबंधित मुद्दों की महान संवेदनशीलता को पूरी तरह से समझना चाहिए और 14वें दलाई लामा की अलगाव विरोधी प्रकृति को पहचानना चाहिए, और ज़िज़ांग से संबंधित मुद्दों पर चीन से किए गए वादे का सम्मान करना चाहिए।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत दलाई लामा मुद्दे का उपयोग चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए कर रहा है और नई दिल्ली को ऐसा करने के खिलाफ चेतावनी दी है।

नई दिल्ली में चीनी दूतावास ने दलाई लामा द्वारा पुनर्जन्म की निरंतरता के बारे में घोषणा का विरोध किया। चीन ने भारत से द्विपक्षीय संबंधों की रक्षा के लिए तिब्बत पर सतर्क रहने का आग्रह किया है। यह घटनाक्रम भारत और चीन के बीच संबंधों में एक नया मोड़ लेकर आया है, जिस पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई हैं। आने वाले दिनों में देखना होगा कि दोनों देश इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं।

भारत की प्रतिक्रिया

अभी तक भारत सरकार की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत चीन के दबाव में नहीं आएगा और दलाई लामा के प्रति अपना समर्थन जारी रखेगा। दलाई लामा भारत में एक सम्मानित आध्यात्मिक नेता हैं और भारत सरकार हमेशा से ही उनका स्वागत करती रही है।

आगे क्या होगा?

यह देखना बाकी है कि चीन इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाता है। क्या चीन भारत पर दबाव बनाने के लिए कोई और कदम उठाएगा? या फिर चीन इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश करेगा? आने वाले दिनों में इन सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।

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