दिल्ली हाई कोर्ट: तुर्की फर्म सेलेबी की याचिका पर फैसला आज

दिल्ली उच्च न्यायालय आज तुर्की स्थित फर्म सेलेबी की उस याचिका पर फैसला सुनाएगा, जिसमें सुरक्षा मंजूरी रद्द करने के खिलाफ अपील की गई है। यह मामला भारत की हवाई सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह विवाद तब शुरू हुआ जब नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी 15 मई को रद्द कर दी। यह कार्रवाई कथित तौर पर तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने और भारत के पड़ोसी देश में आतंकी शिविरों पर हमलों की निंदा करने के बाद की गई थी।

याचिकाकर्ता का तर्क

सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार के फैसले को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। उन्होंने तर्क दिया कि विमान सुरक्षा नियमों के तहत प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है। रोहतगी ने कहा कि महानिदेशक, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो को "प्रस्तावित सजा" की सूचना देने के बाद याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर देना चाहिए था और बाद में अपनी कार्रवाई के कारण बताने चाहिए थे।

केंद्र सरकार का पक्ष

केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए विमानन सुरक्षा के लिए "अभूतपूर्व" खतरे का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में यह फैसला लिया गया है, क्योंकि याचिकाकर्ता कंपनियों की सेवाओं को जारी रखना वर्तमान परिदृश्य में खतरनाक होगा।

न्यायालय का रुख

जस्टिस सचिन दत्ता ने 23 मई को मामले में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब, सभी की निगाहें न्यायालय के फैसले पर टिकी हैं, जो भारतीय विमानन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बीच संतुलन को प्रभावित कर सकता है। इस फैसले से सेलेबी के भारत में संचालन पर भी असर पड़ेगा, जो 15 वर्षों से अधिक समय से भारतीय विमानन क्षेत्र में काम कर रही है और 10,000 से अधिक लोगों को रोजगार देती है।

आज का फैसला न केवल सेलेबी के भविष्य को तय करेगा, बल्कि भारत में विदेशी निवेश और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संबंधों को भी परिभाषित करेगा।

Compartir artículo