महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। एक तरफ जहाँ दो दशकों के बाद ठाकरे बंधु (उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे) एक मंच पर साथ दिखाई दिए, वहीं दूसरी तरफ मुंबई में मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) के पांच समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है।
ठाकरे बंधुओं का मिलन: सियासी मजबूरी या भाईचारे का संदेश?
शनिवार को 'मराठी गौरव' के नाम पर आयोजित एक रैली में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ नजर आए। यह रैली बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने के तौर पर देखी जा रही है। जहाँ उद्धव ठाकरे की पार्टी लोकसभा में पिछड़ती हुई दिखाई दे रही है, वहीं एमएनएस हालिया विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई। इस मिलन को कुछ लोग भाईचारे का प्रतीक मान रहे हैं, तो वहीं भाजपा और महायुति गठबंधन के नेताओं ने इसे सियासी मजबूरी और भाईचारे की नौटंकी करार दिया है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
मुंबई में मनसे समर्थकों की गिरफ्तारी
दूसरी घटना में, मनसे के पांच समर्थकों को निवेशक सुशील केडिया के वर्ली स्थित कार्यालय पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि यह हमला केडिया द्वारा सोशल मीडिया पर मराठी न सीखने संबंधी पोस्ट के बाद किया गया। उन्होंने राज ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा था कि वह मराठी नहीं सीखेंगे। पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए पांच मनसे समर्थकों को हिरासत में ले लिया है।
इन दोनों घटनाओं ने महाराष्ट्र की राजनीति को गरमा दिया है। देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इसका क्या प्रभाव पड़ता है। क्या ठाकरे बंधुओं का मिलन BMC चुनाव में कोई बदलाव ला पाएगा? और क्या मनसे इस घटना के बाद अपनी रणनीति में कोई बदलाव करेगी?
आगे क्या?
- BMC चुनाव पर ठाकरे बंधुओं के मिलन का असर
- मनसे की भविष्य की रणनीति
- महाराष्ट्र की राजनीति में आगे की दिशा