महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, राज और उद्धव ठाकरे, जो दो दशकों से अलग थे, शनिवार (5 जुलाई) को मराठी भाषा के कारण का समर्थन करने के लिए फिर से एकजुट होंगे। ठाकरे बंधुओं का यह दुर्लभ मिलन इस अटकल को हवा दे रहा है कि क्या यह एक ऐसे राज्य में एक नए राजनीतिक संरेखण का संकेत दे सकता है जो अपनी गतिशील राजनीतिक बदलावों के लिए जाना जाता है।
इस पुनर्मिलन का उत्प्रेरक प्रस्तावित त्रि-भाषा सूत्र का उनका संयुक्त विरोध था, जिसने महायुति सरकार को पीछे हटने और नीति को रोकने के लिए प्रेरित किया। "मराठी एकता की इस जीत" का जश्न मनाने के लिए, रैली सुबह 10 बजे वर्ली के NSCI डोम में आयोजित की जाएगी। इस कार्यक्रम में मराठी उत्साही, लेखक, कवि, शिक्षक, संपादक और कलाकारों सहित विविध भीड़ के आने की उम्मीद है।
जीत रैली की योजना शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) दोनों के नेताओं द्वारा वर्ली डोम में बड़ी संख्या में लोगों को समायोजित करने के लिए बनाई गई है। मंच पर राज और उद्धव ठाकरे भाग लेने वाले दलों के अध्यक्षों या राज्य प्रमुखों के साथ होंगे।
वर्ली डोम में 7,000-8,000 लोग बैठ सकते हैं, जिसमें अंदर, बाहर और आसपास की सड़कों पर एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं ताकि सभी उपस्थित लोगों के लिए दृश्यता सुनिश्चित हो सके। अतिरिक्त बाहरी एलईडी स्क्रीन के साथ अतिप्रवाह भीड़ को समायोजित किया जाएगा।
त्रि-भाषा सूत्र का विरोध: पुनर्मिलन का कारण
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के पुनर्मिलन का मुख्य कारण त्रि-भाषा सूत्र का विरोध है। दोनों नेताओं ने इस नीति को मराठी भाषा और संस्कृति के लिए हानिकारक बताया है।
भाजपा और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) की प्रतिक्रिया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) ने ठाकरे बंधुओं के पुनर्मिलन के उद्देश्य पर संदेह व्यक्त किया है। दोनों दलों ने कहा है कि यह पुनर्मिलन केवल राजनीतिक लाभ के लिए है।
- क्या यह पुनर्मिलन महाराष्ट्र की राजनीति को बदल देगा?
- क्या ठाकरे बंधु फिर से एक साथ आएंगे?
- मराठी भाषा और संस्कृति का भविष्य क्या होगा?