बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (International Crimes Tribunal) ने अदालत की अवमानना के मामले में 6 महीने की जेल की सजा सुनाई है। यह फैसला अगस्त 2024 में अपदस्थ होने के बाद उन पर पहला कानूनी कार्रवाई है।
मामले की पृष्ठभूमि
शेख हसीना पर न्यायाधिकरण की गरिमा और अधिकार को कम करने वाली टिप्पणियां करने का आरोप है। यह न्यायाधिकरण मूल रूप से 2008 में शेख हसीना की सरकार द्वारा 1971 के मुक्ति युद्ध के दौरान युद्ध अपराधों के आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए स्थापित किया गया था। हालांकि, पिछले साल ढाका से भागने के बाद, अंतरिम सरकार ने आईसीटी में कई संशोधन किए और न्यायाधीशों और मुख्य अभियोजक की नई समितियों की नियुक्ति की।
अवामी लीग का विरोध
अपदस्थ नेता की प्रतिबंधित अवामी लीग ने लंदन में जारी एक बयान में इसे "दिखावटी मुकदमा" बताया और कहा कि आरोपी "आरोपों से इनकार करते हैं"। पार्टी ने न्यायाधिकरण को "कंगारू कोर्ट" करार दिया है, जिसका अर्थ है कि यह निष्पक्ष नहीं है और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है।
शेख हसीना ने 1 जुलाई को मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोपों से इनकार किया था, जिसके बाद अभियोजकों ने उनके खिलाफ बांग्लादेशी कानून के तहत मानवता के खिलाफ अपराध माने जाने वाले नरसंहार को रोकने में विफलता, उकसाने और साजिश से संबंधित पांच आरोप दायर किए थे।
यह मामला बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है और आने वाले समय में और अधिक राजनीतिक उथल-पुथल की संभावना है। आने वाले दिनों में इस फैसले पर और अधिक प्रतिक्रियाएं आने की उम्मीद है।