भारत के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की इंग्लैंड में टेस्ट मैचों में प्रदर्शन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। क्या जडेजा को इंग्लिश परिस्थितियों में अपनी गेंदबाजी की गति कम करने की जरूरत है ताकि वे अधिक प्रभावी हो सकें? हेडिंग्ले में पांचवें दिन जडेजा की गेंदबाजी प्रभावशाली नहीं रही, जिससे यह सवाल उठने लगा कि वे भारतीय पिचों पर जितने प्रभावी हैं, उतने यहां क्यों नहीं हैं।
पहले टेस्ट के अंतिम दिन, बेन डकेट ने जडेजा के खिलाफ रिवर्स स्वीप खेलकर मैच को भारत से दूर कर दिया। जडेजा भारतीय तेज गेंदबाजों द्वारा डकेट के ऑफ-स्टंप के बाहर बनाई गई रफ से गेंद को टर्न नहीं करा सके।
जडेजा का प्रदर्शन इंग्लैंड में
इंग्लैंड में जडेजा का टेस्ट रिकॉर्ड निराशाजनक रहा है। उन्होंने 13 टेस्ट मैचों में सिर्फ 28 विकेट लिए हैं और एक भी बार पांच विकेट नहीं लिए हैं। उनका स्ट्राइक रेट भी 102.6 है, जो एक विकेट के लिए 17 ओवर से अधिक है।
क्यों हो रही है परेशानी?
विश्लेषकों का मानना है कि जडेजा की गेंद की स्वाभाविक गति उनकी समस्या बन रही है। डकेट ने दूसरी पारी में 30 से अधिक रिवर्स स्वीप का प्रयास किया और उन्हें काफी सफलता मिली, जिसका श्रेय जडेजा की गेंदों की गति को दिया जा सकता है।
महान बिशन सिंह बेदी से लेकर मनिंदर सिंह और मुरली कार्तिक तक, सभी क्लासिकल बाएं हाथ के टेस्ट स्पिनरों ने गेंद को अधिक घुमाया और इंग्लैंड में गेंदबाजी करते समय बहुत अधिक साइड-स्पिन दी।
क्या है समाधान?
अगर जडेजा अपनी गेंदबाजी की गति को कम करते हैं और गेंद को अधिक घुमाते हैं, तो वे इंग्लिश परिस्थितियों में अधिक प्रभावी हो सकते हैं। धीमी गति से गेंद बल्लेबाजों को रिवर्स स्वीप खेलने के लिए कम समय देगी और जडेजा को टर्न और बाउंस प्राप्त करने में मदद करेगी।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जडेजा बर्मिंघम में दूसरे टेस्ट में अपनी रणनीति में बदलाव करते हैं या नहीं। भारत को सीरीज में बराबरी करने के लिए उनकी गेंदबाजी का महत्वपूर्ण योगदान होगा।