प्रशांत किशोर के आरोपों से बिहार में सियासी भूचाल!

बिहार की राजनीति में इन दिनों चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) छाए हुए हैं। जन सुराज अभियान के संस्थापक पीके, जो कभी किंगमेकर हुआ करते थे, अब खुद 'किंग' बनने की राह पर हैं। उन्होंने राज्य के कई बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है।

पीके के निशाने पर एनडीए के दिग्गज

कभी राजद और तेजस्वी यादव पर हमलावर रहने वाले पीके अब एनडीए के प्रमुख नेताओं को निशाना बना रहे हैं। उनकी लिस्ट में जेडीयू के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, भाजपा के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल और मंत्री मंगल पांडेय जैसे बड़े नाम शामिल हैं। पीके का यह अंदाज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याद दिलाता है, जो सबूतों के साथ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर चर्चा में आए थे।

चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को क्यों बताया जिम्मेदार?

इस बीच, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिहार की अंतिम मतदाता सूची पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि आयोग को मतदाता सूची में गड़बड़ियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। रविशंकर प्रसाद ने भी मतदाता सूची में मृतकों और घुसपैठियों के नाम होने पर चिंता जताई है।

  • क्या नीतीश कुमार ने अपने करीबी मंत्रियों से दूरी बना ली है?
  • क्या प्रशांत किशोर का 'केजरीवाल मॉडल' बिहार में सफल होगा?
  • बिहार की राजनीति में आगे क्या होगा?

इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलने की उम्मीद है। फिलहाल, प्रशांत किशोर के आरोपों ने बिहार की राजनीति को गरमा दिया है। देखना होगा कि इन आरोपों का क्या असर होता है और कौन-कौन नेता इसकी चपेट में आते हैं।

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