अनिल अंबानी की कंपनियों पर ED का शिकंजा, विदेशी फंड मामले में छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) अनिल अंबानी की कंपनियों के खिलाफ विदेशी फंड से जुड़े एक मामले की जांच कर रहा है। इस सिलसिले में इंदौर और मुंबई में छह ठिकानों पर छापेमारी की गई है। यह जांच विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत कथित अवैध धन प्रेषण से जुड़ी है।

जांच मुख्य रूप से रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा पर केंद्रित है, जो दोनों अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG) की कंपनियां हैं। अधिकारियों के अनुसार, जांच अनिल अंबानी के व्यावसायिक समूह के भीतर कई कंपनियों से संबंधित है, जिसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (R Infra) पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिस पर 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण को दूसरी जगह मोड़ने का आरोप है।

सेबी रिपोर्ट का हवाला

ईडी ने सेबी की एक रिपोर्ट के निष्कर्षों का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट (ICD) के माध्यम से अन्य रिलायंस ग्रुप संस्थाओं को धन भेजा। ये लेनदेन CLE नामक एक कंपनी के माध्यम से किए गए थे, जिसे कथित तौर पर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा "संबंधित पार्टी" के रूप में प्रकट नहीं किया गया था, एक ऐसा कदम माना जाता है जिसे अनिवार्य शेयरधारक और ऑडिट समिति की मंजूरी को दरकिनार करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

पहले भी हो चुकी है पूछताछ

अगस्त में, अनिल अंबानी कई समूह कंपनियों से जुड़े कई धोखाधड़ी मामलों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी के सामने पेश हुए थे। 66 वर्षीय उद्योगपति को नई दिल्ली में ईडी मुख्यालय में बुलाया गया था, जहां उनका बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किया गया था।

बैंकों से भी पूछताछ

कथित ऋण धोखाधड़ी की अपनी व्यापक जांच के हिस्से के रूप में, ईडी ने 39 बैंकों से भी संपर्क किया है, जिसमें संभावित उचित परिश्रम चूक के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है। एजेंसी ने सवाल किया कि इन वित्तीय संस्थानों ने संदिग्ध ऋणों को चिह्नित क्यों नहीं किया।

यह मामला अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों के लिए एक और झटका है, जो पहले से ही भारी कर्ज के बोझ तले दबी हुई हैं। ईडी की जांच से आने वाले दिनों में कई और खुलासे होने की संभावना है।

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