राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: शताब्दी वर्ष पर देशव्यापी पथ संचलन एवं शस्त्र पूजन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मना रहा है शताब्दी वर्ष: देश भर में पथ संचलन और शस्त्र पूजन का आयोजन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पूरे भारत में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इन कार्यक्रमों में पथ संचलन (मार्च पास्ट) और शस्त्र पूजन प्रमुख हैं। बैतूल और यमुनानगर सहित कई जिलों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं।

बैतूल में, 2 से 12 अक्टूबर तक जिले के 80 मंडलों और 13 बस्तियों में 250 से अधिक स्वयंसेवकों के साथ पथ संचलन का आयोजन किया जाएगा। आरएसएस कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। जिला प्रचार प्रमुख नरेश लहरपुरे ने बताया कि यह आयोजन संघ की केंद्रीय योजना का हिस्सा है।

यमुनानगर में भी वीरवार से जिले के विभिन्न स्थानों पर पथ संचलन और शस्त्र पूजन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह कार्यक्रम 5 अक्टूबर तक चलेंगे। जिला संघ चालक रमेश धारीवाल ने बताया कि जगाधरी, साढौरा, छछरौली, प्रतापनगर, आदिबद्री, व्यासपुर, खदरी, लेदी जैसे स्थानों पर कार्यक्रम होंगे, जिनके लिए वक्ताओं के नाम भी निर्धारित किए गए हैं। स्वयंसेवक पथ संचलन का अभ्यास कर रहे हैं।

यह शताब्दी वर्ष आरएसएस के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, और इन आयोजनों का उद्देश्य संगठन की विचारधारा और कार्यों को लोगों तक पहुंचाना है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से आरएसएस समाज में एकता, अनुशासन और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना चाहता है।

पथ संचलन का महत्व

पथ संचलन आरएसएस की गतिविधियों का एक अभिन्न अंग है। यह स्वयंसेवकों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है और उनमें अनुशासन और टीम भावना का विकास करता है। इसके अतिरिक्त, यह समाज में संगठन की उपस्थिति को दर्शाता है और लोगों को आरएसएस के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करता है।

शस्त्र पूजन का महत्व

शस्त्र पूजन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह शक्ति और साहस का प्रतीक है। आरएसएस शस्त्र पूजन के माध्यम से स्वयंसेवकों को देश की रक्षा के लिए तत्पर रहने की प्रेरणा देता है।

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