प्रशांत किशोर: बिहार की राजनीति में भूचाल, दिग्गजों को देनी पड़ रही है सफाई

बिहार की राजनीति में इन दिनों प्रशांत किशोर (पीके) छाए हुए हैं। कभी रणनीतिकार रहे पीके अब नेता बन चुके हैं और उन्होंने राज्य के सियासी माहौल को गरमा दिया है। उनके बयानों और आरोपों से सत्ता और विपक्ष दोनों के दिग्गजों को सफाई देनी पड़ रही है।

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेराबंदी

लंबे समय से बिहार में चारा घोटाला चर्चा का विषय रहा है, जिसमें राजद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन इस बार प्रशांत किशोर ने सभी पार्टियों को निशाने पर लिया है। पीके ने नेताओं से उनके धन के स्त्रोत पर सवाल उठाए हैं, जिससे हर कोई खुद को भ्रष्टाचार मुक्त साबित करने में लगा है।

अशोक चौधरी का पलटवार

जेडीयू नेता अशोक चौधरी ने प्रशांत किशोर के आरोपों का जवाब न्यायालय में केस लड़ने के बजाय जनता की अदालत में देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जनता की अदालत में लड़ना बेहतर है। यह दिखाता है कि पीके के आरोपों को राजनीतिक रूप से कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है।

सम्राट चौधरी पर आरोप

पीके ने बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी पर भी आरोप लगाए हैं, जिससे बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। जनता भी पीके के इस 'पोल खोल' अभियान का समर्थन कर रही है। लोगों का कहना है कि नेताओं को प्रशांत किशोर के सवालों का जवाब देना चाहिए, नहीं तो उन्हें आगामी चुनावों में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

क्या बदलेगा बिहार का चुनावी विमर्श?

प्रशांत किशोर के सक्रिय होने से बिहार का चुनावी विमर्श बदलता हुआ दिख रहा है। क्या अब बिहार में जाति के नाम पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा? क्या भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे हावी रहेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि पीके की रणनीति बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाती है।

जनता की अदालत का फैसला

अशोक चौधरी ने कहा है कि वे जनता की अदालत में लड़ेंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जनता प्रशांत किशोर के आरोपों को कितना गंभीरता से लेती है और इसका असर चुनावों पर क्या होता है।

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