तेलंगाना में सद्दुल बथुकम्मा का त्योहार महिलाओं की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है। यह त्योहार देवी के रूप में महिला शक्ति की आराधना का उत्सव है। 29 सितंबर 2025 को मनाया गया सद्दुल बथुकम्मा विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने समाज में महिलाओं के महत्व को रेखांकित किया।
बथुकम्मा, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'जीवन देवी', फूलों से सजाए गए एक शंकु के आकार का ढेर होता है। महिलाएं इस बथुकम्मा को अपने आंगन में स्थापित करती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है, और प्रत्येक दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं और देवी को अर्पित किए जाते हैं।
सद्दुल बथुकम्मा का महत्व
सद्दुल बथुकम्मा न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सद्भाव का भी प्रतीक है। इस त्योहार में, सभी जाति और धर्म की महिलाएं एक साथ मिलकर भाग लेती हैं और एक दूसरे के साथ खुशियां बांटती हैं। यह त्योहार महिलाओं को एक साथ आने और अपनी संस्कृति और परंपराओं को मनाने का अवसर प्रदान करता है।
इस अवसर पर, हमें यह याद रखना चाहिए कि महिलाओं को समाज में उचित सम्मान और स्थान दिया जाना चाहिए। वे न केवल परिवार की देखभाल करती हैं, बल्कि समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
आगे की राह
सद्दुल बथुकम्मा जैसे त्योहार हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को संजोने और समाज में महिलाओं के महत्व को समझने की प्रेरणा देते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें, और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए समान अवसर मिलें।
- महिलाओं का सम्मान करें।
- उन्हें समान अवसर प्रदान करें।
- उनकी शिक्षा और विकास को प्रोत्साहित करें।
- उनके अधिकारों की रक्षा करें।