माँ कालरात्रि: नवरात्रि के सातवें दिन का महत्व
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में से, कालरात्रि देवी का रूप अत्यंत शक्तिशाली और भयावह माना जाता है। हालाँकि, वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी हैं। 'काल' का अर्थ है मृत्यु और 'रात्रि' का अर्थ है अंधकार। माँ कालरात्रि अपने भक्तों को जीवन के अंधकार और मृत्यु के भय से बचाती हैं।
अजमेर से मिली जानकारी के अनुसार, माँ कालरात्रि भक्तों को हर प्रकार के संकट से रक्षा करती हैं, चाहे वह जीवन के अंत की ओर ले जाने वाले संकट हों या कोई अन्य।
माँ कालरात्रि का भोग
माँ कालरात्रि को गुड़ अत्यंत प्रिय है। इसलिए, नवरात्रि के सातवें दिन गुड़ से बने पकवानों का भोग लगाना शुभ माना जाता है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, माँ कालरात्रि की पूजा में गुड़ से बने विशेष पकवान अर्पित किए जाते हैं।
- गुड़ का महत्व: गुड़ न केवल माँ कालरात्रि को प्रिय है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
जीवन में डर और माँ कालरात्रि
जीवन के हर पड़ाव पर डर किसी न किसी रूप में सामने आता है। बचपन में हमें अनजान जगह या अंधेरे से डर लगता है, जवानी में सामाजिक और कॅरिअर से जुड़ी चिंताएं सताती हैं। माँ कालरात्रि इन सभी डरों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को साहस और शक्ति मिलती है।
इसलिए, नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की श्रद्धापूर्वक पूजा करें और उन्हें गुड़ से बने पकवानों का भोग अर्पित करें।