शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। इस वर्ष, तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर को मनाई जा रही है, जो इसे एक अत्यंत शुभ संयोग बनाती है। माँ चंद्रघंटा देवी दुर्गा का एक रूप हैं, जिनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
माँ चंद्रघंटा का महत्व
मान्यता है कि माँ चंद्रघंटा की आराधना करने से जीवन की सभी बाधाएं और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। वे शुक्र ग्रह को शासित करती हैं, इसलिए उनकी पूजा से सांसारिक सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भक्तों का मानना है कि माँ चंद्रघंटा अपने भक्तों को साहस, शक्ति और शांति प्रदान करती हैं।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के तीसरे दिन, भक्त माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र की पूजा करते हैं। पूजा में धूप, दीप, फल, फूल और मिठाई अर्पित की जाती है। माँ चंद्रघंटा को लाल रंग के फूल विशेष रूप से प्रिय हैं। भक्त दुर्गा चालीसा और माँ चंद्रघंटा के मंत्रों का जाप करते हैं।
इस वर्ष तृतीया तिथि दो दिन होने के कारण, भक्तों को माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए अधिक समय मिलेगा। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। पंडितों के अनुसार, तृतीया तिथि पर सुबह और शाम दोनों समय पूजा करना शुभ है।
घंटी के उपाय
नवरात्रि में घंटी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि घंटी बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। माँ चंद्रघंटा की पूजा में घंटी बजाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- घर के मुख्य द्वार पर घंटी लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
- पूजा के दौरान घंटी बजाने से माँ चंद्रघंटा प्रसन्न होती हैं।
- नियमित रूप से घर में घंटी बजाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
देशनोक करणी माता मंदिर में नवरात्रि उत्सव
बीकानेर के प्रसिद्ध देशनोक करणी माता मंदिर में नवरात्रि उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। घट स्थापना के साथ ही दस दिवसीय नवरात्रा महोत्सव शुरू हो गया है। दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं। मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है और माता के जयकारों से वातावरण गूंजायमान है।