शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। इस वर्ष, यह विशेष दिन 24 सितंबर को मनाया जा रहा है। माँ चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं और उन्हें शांति, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जिसके कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधिपूर्वक करनी चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर, माँ चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
माँ चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप करें। दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। उन्हें फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में, आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
माँ चंद्रघंटा का महत्व
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को साहस, शक्ति और आत्मविश्वास मिलता है। वे नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। मान्यता है कि उनकी आराधना से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
शुभ संयोग
इस शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्लभ 'इंद्र योग' समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, यह माँ चंद्रघंटा की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होंगे।
घंटी के उपाय
- घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए नवरात्रि में घंटी बजाना शुभ माना जाता है।
- मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए मंदिर में घंटी दान करें।
- पूजा के समय घंटी बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
इस नवरात्रि, माँ चंद्रघंटा की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को खुशहाल बनाएं।