एटलेटिको मैड्रिड के खिलाड़ी मार्कोस लोरेंटे एक बार फिर सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। इस बार मामला है हवाई जहाजों द्वारा की जाने वाली कथित 'धुंध' (chemtrails) को लेकर उनकी टिप्पणी। गेटाफे क्लब की एक पोस्ट पर लोरेंटे के कमेंट ने इस पुरानी थ्योरी को फिर से हवा दे दी है।
गेटाफे ने हाल ही में एक पोस्ट साझा की थी जिसमें उनके खिलाड़ी एक गोल का जश्न मना रहे थे। तस्वीर में आसमान में एक हवाई जहाज की लकीर दिखाई दे रही थी। लोरेंटे ने इस पर टिप्पणी करते हुए लिखा, "दूसरी तस्वीर में धुंध!" उनका इशारा उस थ्योरी की ओर था जिसके अनुसार हवाई जहाज जानबूझकर रसायनों का छिड़काव करते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब लोरेंटे ने इस तरह की बात कही है। उनकी पत्नी, पैडी नोआर्बे भी सोशल मीडिया पर इस तरह के विचारों को साझा करती रही हैं। उन्होंने एक बार कहा था कि जो लोग यह मानते हैं कि यह जियोइंजीनियरिंग नहीं है, वे आसमान या सरकारी एजेंसियों की ओर नहीं देखना चाहते।
कुछ महीने पहले, लोरेंटे ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें कई हवाई जहाजों की लकीरें दिखाई दे रही थीं, जिसके साथ उन्होंने लिखा था, "बस बहुत हुआ।"
जियोइंजीनियरिंग क्या है?
जियोइंजीनियरिंग तकनीकों का एक समूह है जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर जलवायु को बदलना है। सबसे लोकप्रिय सिद्धांतों में से एक यह है कि हवाई जहाजों के पीछे दिखाई देने वाली लकीरें सिर्फ पानी के वाष्प के निशान नहीं हैं, बल्कि जलवायु को बदलने या आबादी को नियंत्रित करने के लिए जारी किए गए रासायनिक पदार्थ हैं।
क्या यह सच है?
वैज्ञानिक समुदाय में इस थ्योरी को व्यापक रूप से खारिज किया गया है। उनका मानना है कि ये लकीरें सिर्फ विमान के इंजन से निकलने वाले पानी के वाष्प के संघनन से बनती हैं। हालांकि, लोरेंटे जैसे लोगों का मानना है कि इसके पीछे कुछ और भी है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि मार्कोस लोरेंटे इस विषय पर आगे क्या कहते हैं। क्या वह अपने विचारों पर कायम रहेंगे, या वह इस मामले पर और जानकारी प्राप्त करने के लिए तैयार हैं? फिलहाल, सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी ने एक बार फिर इस विवादास्पद विषय को चर्चा में ला दिया है।