आरटीई दाखिला प्रक्रिया में समस्याएँ: सैकड़ों बच्चे वंचित
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत गरीब और वंचित बच्चों को निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। लेकिन, कई अभिभावकों के लिए यह प्रक्रिया निराशाजनक साबित हो रही है। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रेटर नोएडा में 800 से अधिक बच्चों को अभी तक स्कूलों में दाखिला नहीं मिल पाया है।
सेक्टर ओमिक्रॉन के निवासी श्याम राघव बताते हैं कि उनके बेटे का नाम दूसरी लॉटरी में आया था और सभी दस्तावेजों का सत्यापन भी हो गया था। इसके बावजूद, उनके बेटे को दाखिला नहीं मिल पाया। यह एक अकेली घटना नहीं है। कई अभिभावकों का कहना है कि वे सिस्टम से हार मान चुके हैं और अब दूसरे स्कूलों की तलाश कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, रायगढ़ जिले में भी आरटीई के तहत सीटें खाली रह गई हैं। इस सत्र में 1839 बच्चों ने एडमिशन लिया, लेकिन 306 सीटें खाली रह गईं। आरटीई के तहत, स्कूलों में छात्र संख्या का 25 प्रतिशत सीटें गरीब परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित रहती हैं।
आरटीई दाखिला प्रक्रिया में देरी और चुनौतियाँ
इस वर्ष, आरटीई दाखिला प्रक्रिया में काफी देरी हुई है, जिसके कारण 31 अगस्त तक एडमिशन की प्रक्रिया चलती रही। कई अभिभावकों ने एक से अधिक स्कूलों में आवेदन किया, फिर भी उनके आवेदन निरस्त हो रहे हैं। यह स्थिति उन परिवारों के लिए बहुत निराशाजनक है जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं।
- आरटीई के तहत 3.5 से 6 वर्ष के बच्चों को दाखिला मिलता है।
- यह योजना गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए है।
- स्कूलों को 25% सीटें आरक्षित रखनी होती हैं।
शिक्षा विभाग को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पात्र बच्चों को आरटीई के तहत दाखिला मिल सके।