दशकों से, पाकिस्तान ने अमेरिकी सहायता को चीनी ऋणों के साथ संतुलित किया है। लेकिन बलूचिस्तान के खनिज संपदा, बढ़ती उग्रवाद और तेज होते अमेरिका-चीन तनाव के साथ, इसका लंबे समय से चला आ रहा दोहरा खेल खुल रहा है।
पाकिस्तान का मुश्किल संतुलन
पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिका और चीन दोनों को साधने की कोशिश कर रहा है। उसे अमेरिका से आर्थिक और सैन्य मदद मिलती रही है, जबकि चीन से उसे कर्ज और निवेश मिलता रहा है। पाकिस्तान के लिए यह संतुलन बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि वह दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है।
बदलता हुआ भू-राजनीतिक परिदृश्य
हालांकि, हाल के वर्षों में भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है, और पाकिस्तान पर किसी एक पक्ष को चुनने का दबाव बढ़ रहा है। बलूचिस्तान में उग्रवाद भी बढ़ रहा है, जिससे पाकिस्तान की सुरक्षा को खतरा है।
- बलूचिस्तान की खनिज संपदा
- बढ़ती उग्रवाद
- अमेरिका-चीन तनाव
यह देखना बाकी है कि पाकिस्तान इस बदलती स्थिति का सामना कैसे करेगा। क्या वह अमेरिका और चीन दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में सक्षम होगा? या उसे किसी एक पक्ष को चुनना होगा?
पूरी कहानी के लिए देखें कि इस्लामाबाद की भूगोल, उग्रवादी गुर्गे और बचाव के वादे कैसे रणनीतिक लाभ से संभावित दायित्व में बदल गए हैं। क्या पाकिस्तान को वाशिंगटन और बीजिंग के बीच चयन करने के लिए मजबूर किया जाएगा - या दोनों को खोने का जोखिम होगा?