जापान एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश में नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता का माहौल बन गया है। पांच वर्षों में यह चौथा मौका है जब जापान को नया प्रधानमंत्री चुनना होगा।
इशिबा का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब जापान कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंध, बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत का संकट शामिल हैं। इसके अलावा, उनकी सरकार ने संसद के दोनों सदनों में अपना बहुमत खो दिया था, जिससे उनके लिए शासन करना मुश्किल हो गया था।
इशिबा के इस्तीफे के कारण
इशिबा ने शुरुआत में पद छोड़ने के आह्वान का विरोध किया था, लेकिन अंततः उन्हें इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उनकी पार्टी, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी), में उनके विरोधियों ने उन्हें हटाने की योजना बना ली थी।
इशिबा से पहले, योशीहिदे सुगा ने शिंजो आबे के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री का पद संभाला था। हालांकि, सुगा को भी खराब रेटिंग के कारण एक साल बाद इस्तीफा देना पड़ा, और उनकी जगह फुमियो किशिदा ने ली।
किशिदा भी ज्यादा समय तक पद पर नहीं रहे। एलडीपी से जुड़े भ्रष्टाचार घोटाले, बढ़ती जीवन यापन की लागत और येन के मूल्य में गिरावट के कारण उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई। 2024 में, उनकी जगह इशिबा ने ली, जिन्होंने चुनाव जीतने के कुछ दिनों बाद ही मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की।
आगे क्या?
अब जापान को एक नए नेता की तलाश है जो देश को इन चुनौतियों से निपटने में मदद कर सके। एलडीपी में नेतृत्व के लिए मुकाबला होने की संभावना है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन यह दौड़ जीतता है।
जापान के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रबंधित करना शामिल है। नए प्रधानमंत्री को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मजबूत और प्रभावी रणनीति की आवश्यकता होगी।
- अमेरिका-जापान संबंधों को संतुलित करना
- बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत से निपटना
- संसद में बहुमत हासिल करना
जापान के भविष्य के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। देश को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो चुनौतियों का सामना कर सके और जापान को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जा सके।