अनंत चतुर्दशी 2025: पूजा, महत्व और लालबागचा राजा विसर्जन

आज अनंत चतुर्दशी है, जो भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का दिन है। इस दिन, भक्त भगवान अनंत की पूजा करते हैं और 14 गांठों वाला डोरा धारण करते हैं, जो सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक है। यह दिन गणेश विसर्जन के लिए भी महत्वपूर्ण है, खासकर मुंबई में, जहाँ लालबागचा राजा का भव्य विसर्जन होता है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन उनकी अनंत शक्ति और कृपा का स्मरण किया जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, भगवान अनंत की पूजा करते हैं और गरीबों को दान करते हैं।

मान्यता है कि युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि कौन सा ऐसा व्रत पूजन किया जाए जिससे मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाएं। तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी।

लालबागचा राजा विसर्जन

मुंबई में, अनंत चतुर्दशी लालबागचा राजा के विसर्जन के लिए प्रसिद्ध है। यह गणेश उत्सव का अंतिम दिन होता है और इस दिन लाखों भक्त लालबागचा राजा के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। ढोल-नगाड़ों के साथ, लालबागचा राजा की प्रतिमा को समुद्र में विसर्जित किया जाता है, जो गणेश उत्सव के समापन का प्रतीक है। इस साल भी लालबागचा राजा का विसर्जन धूमधाम से किया गया।

पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान अनंत की प्रतिमा स्थापित करें।
  • उन्हें फूल, फल, और मिठाई अर्पित करें।
  • 14 गांठों वाला डोरा धारण करें।
  • अनंत चतुर्दशी व्रत कथा का पाठ करें।
  • अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

गोविंददेवजी मंदिर में उत्सव

जयपुर के गोविंददेवजी मंदिर में भी अनंत चतुर्दशी मनाई गई। भगवान शालिग्राम का पंचामृत अभिषेक किया गया और उन्हें केसरिया रंग का लप्पा जामा पोशाक धारण करवाया गया।

निष्कर्ष

अनंत चतुर्दशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु की अनंत शक्ति और कृपा का स्मरण कराता है। यह दिन सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की कामना के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

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