द बंगाल फाइल्स: पश्चिम बंगाल में विवाद और बॉक्स ऑफिस कलेक्शन

फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर पश्चिम बंगाल में विवाद बढ़ता जा रहा है। आरोप है कि राज्य सरकार ने फिल्म की स्क्रीनिंग पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगा दिया है। यह फिल्म 1946 के कलकत्ता और नोआखली दंगों पर आधारित है, जिसमें हिंदू पीड़ितों की कहानी को दर्शाया गया है।

फिल्म पर विवाद क्यों?

फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' में विभाजन युग की स्थापित कथाओं को चुनौती दी गई है। फिल्म निर्माता पर वाम-उदारवादी पारिस्थितिकी तंत्र पर हमला करने और कश्मीरी पंडितों के जातीय सफाई जैसे मुद्दों पर रणनीतिक चुप्पी साधने का आरोप है। यही कारण है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के स्वघोषित संरक्षक इस मुद्दे पर आंदोलन करने से हिचकिचा रहे हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

यह आश्चर्य की बात है कि 1946 में कलकत्ता और नोआखली में हुए भयानक दंगों पर केंद्रित एक फिल्म से एक राजनीतिक दल को इतनी शत्रुतापूर्ण प्रतिक्रिया क्यों हो रही है जो बंगाली अस्मिता के संरक्षण और प्रचार के लिए प्रतिबद्ध है। मुस्लिम लीग के प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस के बाद 16 अगस्त, 1946 को कलकत्ता में हुई पांच दिवसीय क्रूरता कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था जो अनजाने में नियंत्रण से बाहर हो गया।

हालांकि, फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगने के कारण, इसके प्रदर्शन और कमाई पर असर पड़ सकता है। फिल्म के समर्थकों का कहना है कि यह प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है और फिल्म को बिना किसी बाधा के प्रदर्शित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

  • फिल्म 1946 के कलकत्ता और नोआखली दंगों पर आधारित है।
  • फिल्म हिंदू पीड़ितों की कहानी को दर्शाती है।
  • फिल्म पर वाम-उदारवादी पारिस्थितिकी तंत्र पर हमला करने का आरोप है।
  • पश्चिम बंगाल सरकार पर फिल्म की स्क्रीनिंग पर अनौपचारिक प्रतिबंध लगाने का आरोप है।

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