ऋषि पंचमी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में भी यह व्रत विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा सप्तऋषियों की पूजा को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
ऋषि पंचमी 2025: तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस दिन विशेष शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
ऋषि पंचमी का महत्व
ऋषि पंचमी का व्रत स्त्रियों के लिए ऋषि-मुनियों के प्रति श्रद्धा और अपने अज्ञानवश हुए दोषों को शुद्ध करने का दिन है। शास्त्रों में कहा गया है कि अगर स्त्रियां मासिक धर्म आदि की अशुद्धि में अनजाने में किसी नियम का उल्लंघन कर देती हैं तो उसका प्रायश्चित ऋषि पंचमी व्रत से हो जाता है। यह व्रत मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति में भी सहायक माना जाता है।
ऋषि पंचमी: पूजा विधि
ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सप्तऋषियों का ध्यान करें और उनकी प्रतिमा या चित्र की पूजा करें। फल, फूल, और नैवेद्य अर्पित करें। व्रत कथा सुनें और आरती करें। इस दिन दान-पुण्य करना भी शुभ माना जाता है।
गजानन मंदिर में ऋषि पंचमी
कई मंदिरों में भी ऋषि पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, गजानन महाराज मंदिर काली चट्टान कालापाठा में इस दिन विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं, जिसमें अभिषेक, आरती, भजन संध्या और प्रसादी का वितरण शामिल है।
- सुबह 8:30 बजे शिवजी एवं श्रीजी का अभिषेक
- दोपहर में भजन संध्या का आयोजन
- शाम 7:30 बजे आरती के उपरांत प्रसादी का वितरण
इस प्रकार, ऋषि पंचमी का व्रत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है, जिससे महिलाओं को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।