ट्रंप ने किया वो काम जो सुप्रीम कोर्ट ने करने से मना किया था!

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार, उन्होंने ऐसा कदम उठाया है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले असंवैधानिक घोषित किया था। मामला फेडरल रिजर्व के गवर्नर लिसा कुक को बर्खास्त करने से जुड़ा है। यह घटना रिपब्लिकन न्यायाधीशों की अधीनता की परीक्षा है।

पिछले मई में, सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप बनाम Wilcox मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। इस फैसले में, कोर्ट ने माना था कि ट्रंप स्वतंत्र संघीय एजेंसियों के नेताओं को बर्खास्त कर सकते हैं, जिन्हें नौकरी की सुरक्षा का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि ट्रंप फेडरल रिजर्व के नेताओं को बर्खास्त नहीं कर सकते।

कोर्ट ने फेडरल रिजर्व के नेताओं को सुरक्षा देने के पीछे का तर्क देते हुए कहा था कि “फेडरल रिजर्व एक अद्वितीय रूप से संरचित, अर्ध-निजी इकाई है जो संयुक्त राज्य अमेरिका के पहले और दूसरे बैंकों की विशिष्ट ऐतिहासिक परंपरा का अनुसरण करती है।”

ट्रंप के इस कदम से राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों के बीच बहस छिड़ गई है। कुछ लोगों का मानना है कि ट्रंप ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है, जबकि अन्य का कहना है कि ट्रंप के पास ऐसा करने का अधिकार है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर क्या रुख अपनाता है। क्या कोर्ट ट्रंप के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करेगा? या क्या कोर्ट ट्रंप के कदम को सही ठहराएगा?

आगे क्या होगा?

यह मामला अमेरिकी लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह तय करेगा कि क्या राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से ऊपर है। यदि ट्रंप को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने की अनुमति दी जाती है, तो यह भविष्य के राष्ट्रपतियों के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा।

इस घटनाक्रम का भारत पर क्या असर होगा?

  • अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर: फेडरल रिजर्व की स्थिरता वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ सकती है, जिसका असर भारत पर भी पड़ सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध: ट्रंप के फैसले से अमेरिका और अन्य देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं।
  • वैश्विक राजनीति: यह घटनाक्रम वैश्विक राजनीति में अमेरिकी प्रभाव को कम कर सकता है।

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