बिहार में भूमि रिकॉर्ड को लेकर राजस्व महाअभियान चल रहा है, लेकिन इसमें कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। मुजफ्फरपुर से आ रही खबरों के अनुसार, रैयतों को जमीन के कागजात में सुधार कराने में परेशानी हो रही है। शिविरों में जाने के बाद भी उनकी शिकायतें दूर नहीं हो रही हैं। कर्मचारी जमाबंदी क्षतिग्रस्त होने की बात कहकर मामले को टाल रहे हैं।
जमाबंदी वितरण में प्रगति
हालांकि, बेगूसराय जिले से खबर है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा चलाए जा रहे राजस्व महा-अभियान में तेजी आई है। जिले में अब तक 2,18,700 जमाबंदी की प्रतियां रैयतों को उपलब्ध करा दी गई हैं। यह अभियान 16 अगस्त से 20 सितंबर तक चलेगा। जिले में कुल 11,46,054 पुरानी जमाबंदी हैं, जिनमें से यह एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे वितरित किया गया है।
राजस्व महाअभियान की आलोचना
दूसरी ओर, मधुबनी जिले से राजस्व महाअभियान की आलोचना भी हो रही है। राजद नेता अरूण कुमार सिंह ने कहा है कि यह अभियान जनता को उलझाने का प्रयास है, जिसे चुनावी माहौल के चलते शुरू किया गया है। उनका कहना है कि सरकार नई सरकार के आने तक एसआईआर और अन्य कुव्यवस्थाओं को भुलाने के लिए ऐसा कर रही है। उनका यह भी मानना है कि आने वाले त्योहारों के बीच जनता व्यस्त रहेगी, जिससे जमीन से जुड़े कागजात जुटाना मुश्किल होगा।
यह स्पष्ट है कि बिहार में भूमि रिकॉर्ड को लेकर स्थिति जटिल है। जहाँ एक तरफ सरकार सुधार करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जनता को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में इस अभियान से लोगों को कितना लाभ मिल पाता है।
आगे की राह
सरकार को चाहिए कि वह शिविरों में रैयतों की समस्याओं को गंभीरता से सुने और उनका समाधान करे। साथ ही, जमाबंदी वितरण की प्रक्रिया को और तेज किया जाए ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके। आलोचनाओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह अभियान वास्तव में जनता के हित में हो, न कि केवल एक चुनावी हथकंडा।