अगस्त 21, 2025: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक बड़ा दांव खेला है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय भाजपा के लिए कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकता है। सत्यपाल मलिक के बयानों और जगदीप धनखड़ के किसान आंदोलन पर रुख के बाद, भाजपा को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो शांत स्वभाव का हो और पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित हो।
राधाकृष्णन से भाजपा को क्या मिलेगा?
- अनुभव और विश्वसनीयता: सीपी राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनेता हैं। उनकी विश्वसनीयता पार्टी के लिए सकारात्मक संदेश देगी।
- संघ के साथ समन्वय: माना जा रहा है कि राधाकृष्णन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने में सक्षम होंगे।
- विपक्षी एकता को चुनौती: राधाकृष्णन की उम्मीदवारी से विपक्षी दलों के गठबंधन को भी चुनौती मिलेगी।
उपराष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने संसद भवन में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित राजग के कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वास जताया कि राधाकृष्णन राष्ट्रीय प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देंगे, जबकि जेपी नड्डा ने उन्हें एक सम्मानित राजनेता बताया।
विपक्षी दलों ने पूर्व जस्टिस सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। अब सभी की निगाहें 9 सितंबर पर टिकी हैं, जब चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। हालांकि, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी भूमिका को किस प्रकार निभाते हैं और देश के विकास में कैसे योगदान करते हैं।
आगे की राह
सीपी राधाकृष्णन के सामने कई चुनौतियां हैं। उन्हें राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना होगा और सरकार और विपक्ष के बीच समन्वय स्थापित करना होगा। इसके अलावा, उन्हें उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को भी बनाए रखना होगा।
कुल मिलाकर, सीपी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह देखना होगा कि वे पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं या नहीं।