हर साल, जन्माष्टमी के छह दिन बाद, कान्हा जी की छठी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण के जन्म के छठे दिन का प्रतीक है, और इस दिन लड्डू गोपाल की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वर्ष 2025 में भी यह पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
कान्हा जी की छठी कब है?
जन्माष्टमी, जो कि भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाई जाती है, के ठीक छह दिन बाद कृष्ण षष्ठी मनाई जाती है। इसलिए, कान्हा जी की छठी की तिथि जन्माष्टमी की तिथि पर निर्भर करती है। 2025 में यह पर्व [यहाँ सटीक तिथि डालें, जन्माष्टमी 2025 की तिथि के आधार पर]।
कृष्ण षष्ठी का महत्व
हिंदू धर्म में, बच्चे के जन्म के छठे दिन छठी मनाने की परंपरा है। इसी परंपरा के अनुसार, जन्माष्टमी के बाद भगवान श्रीकृष्ण की छठी मनाई जाती है। इस दिन, लड्डू गोपाल को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, उनका श्रृंगार किया जाता है, और विशेष भोग लगाया जाता है।
कढ़ी चावल का भोग क्यों?
कृष्ण षष्ठी पर कढ़ी चावल बनाने का विशेष महत्व माना जाता है। माना जाता है कि कढ़ी चावल भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय हैं। इसलिए, इस दिन उन्हें कढ़ी चावल का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त, कई क्षेत्रों में इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयाँ भी बनाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को अर्पित की जाती हैं।
उत्सव और भजन
कान्हा जी की छठी के अवसर पर घरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से, 'नंद बाबा बधाई, छठी आज मनाए लल्ला की' जैसे भजन गाए जाते हैं। इस दिन, लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। यह पर्व भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
कैसे मनाएं कान्हा जी की छठी?
- लड्डू गोपाल को नए वस्त्र पहनाएं और उनका श्रृंगार करें।
- उन्हें कढ़ी चावल और अन्य पसंदीदा व्यंजनों का भोग लगाएं।
- घर में भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
- परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाएं।
कान्हा जी की छठी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। यह पर्व हमें प्रेम, भक्ति और सद्भाव का संदेश देता है।