GST रिफंड: सही टैक्स भुगतान तिथि से गणना शुरू, कोर्ट का फैसला

पटना उच्च न्यायालय का GST रिफंड पर महत्वपूर्ण फैसला

पटना उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसके अनुसार गलत शीर्ष (head) में GST रिफंड की सीमा सही भुगतान की तारीख से गिनी जाएगी। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद और शैलेंद्र सिंह की खंडपीठ ने CGST अधिनियम, 2017 की धारा 77 और IGST अधिनियम की धारा 19 का हवाला देते हुए यह बात कही। अदालत ने कहा कि रिफंड की अवधि की गणना उस तारीख से शुरू होगी जब करदाता ने IGST अधिनियम के तहत कर जमा किया था।

यह मामला एक करदाता से संबंधित था जिसने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए अपने सभी GSTR-01, GSTR-3B और GSTR-09 दाखिल किए थे और रिटर्न के अनुसार सभी देय करों का भुगतान किया था। हालांकि, GST ADT-02 फॉर्म में धारा 65(6) के तहत तैयार की गई ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि करदाता ने एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (Integrated Goods and Services Tax) का कम भुगतान किया था। कुछ लेनदेन को अंतर-राज्यीय (Inter-State) लेनदेन के रूप में पहचाना गया था, जबकि करदाता ने उन्हें CGST/SGST अधिनियम, 2017 के तहत अंतर-राज्यीय (Intra-State) लेनदेन माना था और करों का भुगतान किया था।

करदाता ने तर्क दिया कि विभाग ने, यह पाए जाने के बावजूद कि करदाता रिफंड का हकदार होगा, BGST अधिनियम, 2017 की धारा 54 के आधार पर सीमा के आधार पर रिफंड आवेदन को खारिज कर दिया। राज्य ने तर्क दिया कि चूंकि रिफंड किए जाने वाला कर जनवरी 2018 में भुगतान किया गया था, इसलिए करदाता द्वारा 17.01.2024 को रिफंड आवेदन दाखिल किया गया था, इसलिए इसमें लगभग चार साल की देरी हुई।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का तकनीकी त्रुटियों पर फैसला

इसी तरह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है कि फॉर्म GST RFD-01 में गलत कर शीर्ष का उल्लेख करने में तकनीकी/लिपिकीय त्रुटियों के आधार पर रिफंड के दावे को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। अदालत ने मामले को नए सिरे से विचार करने के लिए वापस भेज दिया।

मामले के तथ्य: याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त CGST के रिफंड के लिए आवेदन दायर किया। हालांकि, फॉर्म GST RFD-01 में, रिफंड राशि गलती से CGST शीर्ष के बजाय IGST शीर्ष के तहत दर्ज की गई थी, जिसे याचिकाकर्ता ने सॉफ्टवेयर गड़बड़ बताया।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के रिफंड आवेदन में स्पष्ट रूप से CGST के अतिरिक्त भुगतान का दावा किया गया है, और केवल फॉर्म में गलत शीर्ष का हवाला देना एक ठोस रिफंड दावे को खारिज करने का आधार नहीं हो सकता है।

अदालत ने यह भी कहा कि गलत प्रावधान का उल्लेख या फॉर्म में टाइपोग्राफ़िकल/सॉफ़्टवेयर त्रुटि किसी करदाता को कानून के तहत निहित अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती है।

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